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{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
}}
<poem>

'''तीन शे’र'''


तेरी दिलबरी का तुह्‌फ़ः, ये सितार:बार आँखें
मए-शौक़ से छलकती ख़ुशो-पुरख़ुमार आँखें

मिरे दिल पे साया-अफ़गन, मिरी रूहो-जाँ में रौशन
ये फ़रिशतःगौर ज़ुल्फ़ें, ये खुदा-शिकार आँखें

रहे ता-अबद<ref>सृष्टि के अंत तक</ref> सलामत, ये दिलो-नज़र की जन्नत
ये सदाबहार पैकर, ये सदाबहार आँखें

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