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Kavita Kosh से
जो खो गये हैं या रब वो औसाँ कहाँ हैं <br><br>
आँखों में रोते -रोते नम भी नहीं अब तो <br>
थे मौजज़न जो पहले वो तूफ़ाँ कहाँ हैं <br><br>
कुछ और ढब अब तो हमें लोग देखते हैं <br>
पहले जो ऐ "ज़फ़र" थे वो इन्साँ कहाँ हैं