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Kavita Kosh से
हमनशीं क्या कहूँ के वो क्या है<br>
छोड़ ये बात नीन्द नींद उड़ने लगी<br><br>
आज तो वो भी कुछ ख़ामोश सा था<br>
एक दम उस के हाथ चूम लिये<br>
ये मुझे बैठे -बैठे क्या सूझी<br><br>
तू जो इतना उदास है "नासिर"<br>
तुझे क्या हो गया बता तो सही<br><br>