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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>ये भी क्या शाम-ए-मुलाक़ात आई|लब पे मुश्किल से तेरी बात आई|
कोई जब मिल के हुआ था रुख़सतदिल-ए-बेताब वही रात आई साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-बुताँ में 'नसिरनासिर', एक से एक नई रात आई|
</poem>