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अशवों को चैन ही नहीं आफ़त किये बगैर
तुम, और मान जाओ शरारत किये बगैर!
अहल-ए-नज़र को यार दिखाना रहराह-ए-वफ़ा
यह, और यहाँ से जाएँ नसीहत किये बगैर