गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
बदरंग / कविता वाचक्नवी
434 bytes added
,
16:26, 19 जून 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता वाचक्नवी }} <poem> '''बदरंग''' कितने बूटे बेल, बूट...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
}}
<poem>
'''बदरंग'''
कितने बूटे
बेल, बूटियाँ
हरे, गुलाबी
काढ़ो इस पर,
सखे!
दूधिया चादर है यह
धूल, धूप, धक्कड़ खाई-सी
::: और नियति
::: बदरंग हुई है।
</poem>
चंद्र मौलेश्वर
Mover, Uploader
943
edits