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02:37, 22 जून 2009 अदाओं की तेरी जादूगरी जानी नहीं जाती
नहीं जाती है मेरे दिल की हैरानी नहीं जाती
ये किस मंज़िल पे ले आयी है तू ऐ ज़िन्दगी मुझको
कि अब सूरत भी मेरी मुझसे पहचानी नहीं जाती!
मुसाफिर लौटकर आने का फिर वादा तो करता जा
अगर कुछ और रुक जाने की जिद मानी नहीं जाती
ये माना तू ही परदे से इशारे मुझको करता है
बिना देखे मगर दिल की परीशानी नहीं जाती
अगर है प्यार दिल में तो कभी सूरत भी दिखला दे
तेरे कूचे की मुझसे खाक़ अब छानी नहीं जाती
कभी तड़पा ही देगी प्यार की खुशबू, गुलाब! उसको
कोई भी आह तेरे दिल की बेमानी नहीं जाती