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Kavita Kosh से
पहलू-ए-गुल में कभी ख़ार ने सोने न दिया<br>
रात भर की कीं दिल-ए-बेताब ने बातें मुझ से<br>
मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया<br>