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इश्क़ ने दिल में जगा की तो क़ज़ा भी आई / फ़ानी बदायूनी
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08:54, 5 जुलाई 2009
आज बीमार को हिचकी भी, क़ज़ा भी आई
देख ये जादा-ए-हस्ती है, सम्भल कर
"फ़नि"
`फ़ानी’
पीछे पीछे वो दबे पाओँ क़ज़ा भी आई
चंद्र मौलेश्वर
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