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07:31, 11 जुलाई 2009
हवाए-गुन्द में<ref>तेज़ हवा में</ref> ठरा न आशियाँ अपना।
चराग़ जल न सका ज़ेरे आस्माँ अपना॥
जरसने<ref>यात्री द्ल के ऊँटॊं की घंटी की आवाज़ ने</ref> मुज़दए-मंज़िल<ref>यात्रा का अंत होने की ख़ुशखबरी</ref> सुना के चौंकाया।
निकल चला था दबे पाँव कारवाँ अपना॥
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