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और नीली फ़ज़ा की मख़मल पर<br>
हँसती हुई हीरे की ये कानीकनी<br>
ये मेरी जन्नत मेरी ज़मीं<br>
इस की सुबहें इस की शामें<br>
शबनम के क़तरे तुलूँगा<br>
मैं रंग-ए-हेना हिना आहंग-ए-ग़ज़ल<br>
अन्दाज़-ए-सुख़न बन जाऊँगा<br>
रुख़सार-ए-उरूस-ए-नौ की तरह<br>
जाड़ों की हवायें दामन में<br>
जब फ़सलफ़स्ल-ए-ख़ज़ाँ को लायेंगी<br>
रहरू के जवाँ क़दमों के तले<br>
सूखे हुए पत्तों से मेरे<br>
और सारा ज़माना देखेगा<br>
हर् हर क़िस्सा मेरा अफ़्साना अफ़साना है<br>
हर आशिक़ है सरदार यहाँ<br>
हर माशूक़ा सुल्ताना है<br><br>