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ख़ून के घूँट बलानौश पिए जाते हैं।

खैर साक़ी की मनाते हैं जिए जाते हैं।


एक तो दर्द मिला उसपै यह शाहाना मिज़ाज।

हम ग़रीबों को भी क्या तोहफ़े दिए जाते हैं॥


दिल है पहलू में कि उम्मीद की चिंगारी है।

अब तक इतनी है हरारत कि जिए जाते हैं।