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आओ, जल भरे बर्तन में / रघुवीर सहाय
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19:07, 13 जुलाई 2009
|संग्रह =
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<poem>
आओ, जल भरे बर्तन में झाँकें
साँस से पानी में डोल उठेंगी दोनों छायाएँ
आओ, जल भरे बर्तन में झाँकें।
</poem>
अनिल जनविजय
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