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08:29, 15 जुलाई 2009 पढ़के दो कलमे अगर कोई मुसलमाँ हो जाय।
फिर तो हैवान भी दो रोज़ में इन्साँ हो जाय॥
आग में हो जिसे जलना तो वो हिन्दु बन जाय।
ख़ाक में ही जिसे मिलना वो मुसलमाँ हो जाय॥
नशये-हुस्न को इस तरह उतरते देखा।
ऐब पर अपने कोई जैसे पशेमाँ हो जाय॥