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ऐसी आज़ाद रू इस तन में / यगाना चंगेज़ी
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|रचनाकार=यगाना चंगेज़ी
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ऐसी आज़ाद रूह इस तन में।
क्यों पराये मकान में आई॥
Pratishtha
KKSahayogi,
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