भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
कितनी सदियों के इन्तज़ार के बाद
क़ुर्बत-ए-यक-नफ़दनफ़स<ref>घनिष्टता</ref> नसीब<ref>भाग्य से मिली हुई</ref> हुईफिर भी तू चुप उदास कम-आवेज़<ref>मिलने-जुलने से कतराने वाला(of reserved nature)</ref>
ऐ सुलगते हुए चराग़ भड़क