भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>
आशिक़ी में है महवियत दरकार।
 
राहते-वस्ल-ओ-रंजे-फ़ुरक़त क्या?
 
न गिरे उस निगाह से कोई।
 
और उफ़्ताद क्या, मुसीबत क्या?
 
जिनमें चर्चा न कुछ तुम्हारा हो।
 
ऐसे अहबाब, ऐसी सुहबत क्या?
 
जाते हो जाओ, हम भी रुख़सत हैं।
 
हिज्र में ज़िन्दगी की मुद्दत क्या?
</Poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits