कवि: [[चंद्रसेन विराट]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:ग़ज़ल]][[Category:|रचनाकार=चंद्रसेन विराट]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~}}
जिसकी ऊंची उड़ान होती है।
चोट वाला निशान होती है।
तीर जाता है दूर तक उसका,
जिसकी बेटी जवान होती है।
खुशबू देती है, एक शायर की,
ज़िंदगी धूपदान होती है।