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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमाब अकबराबादी |संग्रह= }} <poem> लफ़्ज़ों के परिस्...
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{{KKRachna
|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
|संग्रह=
}}
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लफ़्ज़ों के परिस्तार ख़बर ही तुझे क्या है?
जब दिल से लगी हो तो ख़मोशी भी दुआ है॥

दीवाने को तहक़ीर से क्यों देख रहा है।
दीवाना मुहब्बत की ख़ुदाई का ख़ुदा है॥

जो कुछ है वो, है अपनी ही रफ़्तारे-अमल से।
बुत है जो बुलाऊँ, जो ख़ुद आये तो खुदा है॥

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