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मिली साधना सिध्दि सिद्धि से, फूले मन के कुंज।
मनु-शतरूपा को मिला, दिव्य नेह का पुंज॥
जब जब मांगे साधना दर्शन का वैकल्प।
तब तब मिलता सिध्दि सिद्धि को दिव्य मधुर वात्सल्य॥
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