भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
माया के परदे में छिपकर सबको नाच नचाता जो,
नहीं मिलेगा वह मंदिर में, मस्ंजिद मस्जिद में, गुरूद्वारे में।
Anonymous user