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13:40, 4 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
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[[Category:गज़ल]]
<poem>
वो भी अताये-दोस्त है, यह भी उसी की देन है।
ऐश में क़हक़हे लगा, तैश में मुसकराये जा॥
याद पै तेरी मुन्हसिर है, यह हयाते-मुख़्तसिर।
मुझ को न याद कर मगर, तू मुझे याद आये जा॥
</poem>