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{{KKRachna
|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
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}}
[[Category:गज़ल]]
<poem>

ग़फ़लत में सोनेवालों की मैं नींद उड़ाने आया हूँ।
दुनिया को जगा कर छोड़ूँगा, दुनिया को जगाने आया हूँ॥


जो नाक़िस है वो दस्तूरे-तदबीर मिटाने आया हूँ।
इन्सान के शायाँ आईने-तक़दीर बनाने आया हूँ॥


मैं सोज़े-वफ़ा का दुनिया को पैग़ाम सुनाने आया हूँ।
जो आग लगे तो बुझ न सके वो आग लगाने आया हूँ॥


</poem>