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13:58, 4 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
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[[Category:गज़ल]]
<poem>
ग़फ़लत में सोनेवालों की मैं नींद उड़ाने आया हूँ।
दुनिया को जगा कर छोड़ूँगा, दुनिया को जगाने आया हूँ॥
जो नाक़िस है वो दस्तूरे-तदबीर मिटाने आया हूँ।
इन्सान के शायाँ आईने-तक़दीर बनाने आया हूँ॥
मैं सोज़े-वफ़ा का दुनिया को पैग़ाम सुनाने आया हूँ।
जो आग लगे तो बुझ न सके वो आग लगाने आया हूँ॥
</poem>