भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नज़र लग गई है / नईम

2 bytes added, 16:34, 17 सितम्बर 2006
भरने को भरते बैठे घट अब भी मंगल
नदियां सूख रही  अंतस बाहर की सारी-
सूखा रोग लग गया शायद
सभी प्रथाओं को।