लेखिका: [[निर्मला जोशी]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=निर्मला जोशी]]}}
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मैं तुम्हारी बाट जोहूं
तुम अगर ना साथ दोगे
पूर्ण कैरो कैसे छंद होंगे।
भावना के ज्वार कैसे
पंक्तियों में बंद होंगे।
वर्णमाला में दुखों की और
वर्णमाला में दुखों की और कुछ मत जोड़ जाना।
गीत हूं¸ मधुमास भी मैं।
तार में झंकार भर कर
मोम–सी गलती रही मैं।
प्रात को संध्या बनाकर
सूर्य–सा मत छोड़ जाना।