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[[Category:गज़ल]]
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सफ़र-ए-मन्ज़िल-ए-शब याद नहीं
लोग रुख़्सत हुये कब याद नहीं
सफ़र-ए-मन्ज़िल-ए-शब याद नहीं<br>दिल में हर वक़्त चुभन रहती थीलोग रुख़्सत हुये कब थी मुझे किस की तलब याद नहीं<br><br>
दिल में हर वक़्त चुभन रहती वो सितारा थी<br>के शबनम थी के फूलइक सूरत थी मुझे किस की तलब अजब याद नहीं<br><br>
वो सितारा थी के शबनम थी के फूल<br>ऐसा उलझा हूँ ग़म-ए-दुनिया मेंइक सूरत थी अजब एक भी ख़्वाब-ए-तरब याद नहीं<br><br>
ऐसा उलझा हूँ ग़म-ए-दुनिया में<br>भूलते जाते हैं माज़ी के दयारएक याद आयें भी ख़्वाब-ए-तरब तो सब याद नहीं<br><br>
भूलते जाते हैं माज़ी ये हक़ीक़त है के दयार<br>अहबाब को हमयाद आयें भी तो सब ही कब थे के अब याद नहीं<br><br>
ये हक़ीक़त है के अहबाब को हम<br>याद ही कब थे के अब याद नहीं<br><br> याद है सैर-ए-चराग़ाँ "नासिर"<br>दी के बुझने का सबब याद नहीं<br><br/poem>
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