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तीसरा मिसरा कहीं पहले दो मिसरों में गुप्त है, छुपा हुआ है ।
१९७२/७३ में जब कमलेश्वर जी सारिका के एडीटर थे , तब त्रिवेणियाँ सारिका में छपती रहीं
और अब –
त्रिवेणी को बालिग़ होते -होते सत्ताईस -अट्ठाईस साल लग गए ।
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