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रूमाल / नवनीत शर्मा

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अंग्रेजी में बुने गए हैं अक्षर
शक भी नहीं होता कि
उसे धुंधलाएगी धुँधलाएगी
समय की धूल
चिढ़ाएंगी चिढ़ाएँगी सफ़ेदी में दुबकी शर्तें
रूमाल अब कुछ नहीं कहते
गैस स्‍टोव साफ़ करते-करते
अब समझे हैं
कैसे बन जाती है रूमालों की पोंछन
महीन कागजों काग़ज़ों की कुल्‍हाडि़याँ कुल्‍हाड़ियाँ |
'''4.