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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नज़्म तबा तबाई }} कहाँ तक रास्ता देखा करें हम बर...
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{{KKRachna
|रचनाकार=नज़्म तबा तबाई
}}
कहाँ तक रास्ता देखा करें हम बर्के़-खिरमन का।
लगाकर आग देखेंगे तमाशा अब नशेमन का॥
अदाये-सादगी में कंघी-चोटी ने ख़लल डाला।
शिकन माथे पे, अबरू में गिरह, गेसू में बल डाला॥
आ गया फिर रंमज़ाँ, क्या होगा।
हाय ऐ पीरेमुग़ाँ! क्या होगा॥
अहसान ले न हिम्मते-मर्दाना छोड़कर।
रस्ता भी चल तो सब्ज़ये-बेगाना छोड़कर॥
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=नज़्म तबा तबाई
}}
कहाँ तक रास्ता देखा करें हम बर्के़-खिरमन का।
लगाकर आग देखेंगे तमाशा अब नशेमन का॥
अदाये-सादगी में कंघी-चोटी ने ख़लल डाला।
शिकन माथे पे, अबरू में गिरह, गेसू में बल डाला॥
आ गया फिर रंमज़ाँ, क्या होगा।
हाय ऐ पीरेमुग़ाँ! क्या होगा॥
अहसान ले न हिम्मते-मर्दाना छोड़कर।
रस्ता भी चल तो सब्ज़ये-बेगाना छोड़कर॥
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