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तुलसीदास के दोहे / तुलसीदास

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राग न रोष न दोष दुःख सुलभ पदारथ चारी!!
 
 
चित्रकूट के घाट पर भई संतान की भीर !
 
तुलसीदास चंदन घिसे तिलक करे रघुबीर!!
 
 
तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए!
 
अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए!!
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