|संग्रह=
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[[Category:ग़ज़ल]]
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या मुझे अफ़सर-ए-शाहा न बनाया होता
या मेरा ताज गदाया न बनाया होता
या ख़ाकसारी के लिये गरचे बनाया था मुझे अफ़सरकाश ख़ाक-ए-शाहा न बनाया होता <br>या मेरा ताज गदाया दर-ए-जानाँ न बनाया होता <br><br>
ख़ाकसारी के लिये गरचे बनाया था मुझे <br>काश ख़ाकनशा-ए-दर-ए-जानाँ इश्क़ का गर ज़र्फ़ दिया था मुझ को उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता <br><br>
नशा-ए-इश्क़ का गर ज़र्फ़ दिया था मुझ को <br>अपना दीवाना बनाया मुझे होता तूने उम्र का तंग क्यों ख़िरद्मन्द बनाया न पैमाना बनाया होता <br><br>
अपना दीवाना बनाया मुझे होता तूने <br>शोला-ए-हुस्न चमन् में न दिखाया उस ने क्यों ख़िरद्मन्द बनाया न वरना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता <br><br>
शोला-ए-हुस्न चमन् में न दिखाया उस ने <br>वरना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता <br><br> रोज़-ए-ममूरा-ए-दुनिया में ख़राबी है 'ज़फ़र' <br>
ऐसी बस्ती से तो वीराना बनाया होता
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