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[[Category:नवगीत]]
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तुमने क्या नहीं देखा
 
आग-सी झलकती में
 
तुमने क्या नहीं देखा
 
बाढ़-सी उमड़ती में
 
नहीं, मुझे पहचाना
 
धूल भरी आंधी में
 
जानोगे तब जब
 
कुहरे-सी घिर जाऊंगी
 
मैं क्या हूँ मौसम
 
जो बार-बार आऊंगी !
</poem>
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