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एक बार जो / अशोक वाजपेयी

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कवि: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अशोक वाजपेयी]]}} {{KKCatKavita}}<poem>एक बार जो ढल जाएंगेशायद ही फिर खिल पाएंगे।
[[Category:एक बार जो]]फूल शब्द या प्रेमपंख स्वप्न या यादजीवन से जब छूट गए तोफिर न वापस आएंगे।अभी बचाने या सहेजने का अवसर हैअभी बैठकर साथगीत गाने का क्षण है।
[[Category:अशोक वाजपेयी]]अभी मृत्यु से दांव लगाकरसमय जीत जाने का क्षण है।कुम्हलाने के बादझुलसकर ढह जाने के बादफिर बैठ पछताएंगे।
~*~*~*~*~*~*~*~  एक बार जो ढल जाएंगे<br>शायद ही फिर खिल पाएंगे।<br> फूल शब्द या प्रेम<br>पंख स्वप्न या याद<br>जीवन से जब छूट गए तो<br>फिर न वापस आएंगे।<br>अभी बचाने या सहेजने का अवसर है<br>अभी बैठकर साथ<br>गीत गाने का क्षण है।<br> अभी मृत्यु से दांव लगाकर<br>समय जीत जाने का क्षण है।<br>कुम्हलाने के बाद<br>झुलसकर ढह जाने के बाद<br>फिर बैठ पछताएंगे।<br> एक बार जो ढल जाएंगे<br>शायद ही फिर खिल पाएंगे।<br/poem>
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