भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दर्द..... / हरकीरत हकीर

20 bytes added, 04:53, 22 अगस्त 2009
|रचनाकार=हरकीरत हकीर
}}
{{KKCatNazm}}<poem>(१) 
ढोलक की ताल पर
वह मटकी
पावों पाँवों में घुंघरु
छ्नछ्नाये
उभार
थरथराये
जुबांज़ुबां
होंठों पे फिराई
चुम्बन
बिकने लगा .....!!
(२)
(२)
पूरी दुनियां में
जैसे उस वक्त रात थी
बाहर चला गया ....!!
(३)
(३)
लालटेन की
धीमी रौशनी रोशनी में
उसने वक्त से कहा -
मैं जीवन भर तेरी
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits