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|रचनाकार=दिविक रमेश
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]{{KKCatBaalKavita}}<poem>अगर सुनानी तो नानू बसझट सुना दो एक कहानीदेर करोगे तो सच कहतीअभी बुलाती हूँ मैं नानी
अगर सुनानी बोली डोलू बहुत ’बिजी‘ हूँतुम तो नानू बस<br>बिल्कुल खालीझट सुना दो एक कहानी<br>कितने काम पड़े हैं मुझको देर करोगे तो सच कहती<br>अभी बुलाती हूँ नहीं मैं नानी<br><br>ज्यादा रुकने वाली
बोली डोलू बहुत ’बिजी‘ हूँ<br>टीवी अभी देखना मुझकोतुम तो नानू बिल्कुल खाली<br>होम वर्क अभी करना हैकितने काम पड़े हैं मुझको <br>कम्प्यूटर पर अभी खेलनानहीं मैं ज्यादा रुकने वाली<br><br>फोन सहेली से करना है
टीवी अभी देखना मुझको<br>नानू इसीलिए कहती हूँहोम वर्क अभी करना है<br>झट कहानी मुझे सुनाओकम्प्यूटर पर अभी खेलना<br>चली गई तो पछताओगेफोन सहेली से करना है<br><br>मत इतना नानू इतराओ
नहीं आऊँगी नानू इसीलिए कहती हूँ<br>फिर मैंझट कहानी मुझे सुनाओ<br>चॉकलेट भी अगर दिखाओचली गई तो पछताओगे<br>शुरू करो अब शुरू करो नमत इतना नानू इतराओ<br><br>चलो कहानी अभी सुनाओ।
नहीं आऊँगी नानू फिर मैं<br>चॉकलेट भी अगर दिखाओ<br>शुरू करो अब शुरू करो न<br>चलो कहानी अभी सुनाओ।<br><br> सोचूँगी नानू हैं बुद्धू<br>अगर सुनाई नहीं कहानी<br>पुस्तक से ही पढ़ लूँगी मैं<br>
एक नई से नई कहानी।
</poem>
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