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चेहरा-ए-अफ़ाक७ पर कुछ आ चली है आबो-ताब।
इस क़दर रश्क़, ऐ तलबगाराने-सामाने -निशात८
इश्क़ के पास इक दिले-पुरसोज़, इक चश्मे-पुर‍आब९।
दिल की हर धड़कन में सद ज़ीरो-बमे-चंगो-रबाब।
आ रहे हैं गुलसिताँ में ख़ैरो-बरक़त के पयाम
है सदा बादे-सबा की या दुआ ए - मुस्तजाब।
मुर्ग़ है उस दश्त का कोई न मारे पर जहाँ
एक ही पंजे के हैं, ऐ चर्ख़ शाहीनो-उक़ाब।
हम समन्दर मथ के लाये गौहरे-राजे-दवाम१०
दास्तानें मिल्लतों११ की हैं जहाँ नक्शे-बरआब१२।
गिर गयीं मेरी नज़र से आज अपनी सब दुआयें
वाँ गया भी मैं तो उनकी गालियों का क्या जवाब।
पूँछता है मुझसे तू ऐ शख़्स क्या हूँ, कौन हूँ
मैं वही रुसवाये-आलम, शायरों में इन्तेख़ाब।
ऐ फ़िराक़ आफ़ाक़ है कोई तिलिस्म अन्दर तिलिस्म
है हर इक ख़ाब हक़ीक़त हर हकी़क़त एक ख़ाब।
शब्दार्थ:      १- देखने योग्य, २- ईश्वरेच्छा, ३- तथ्य, ५- रोष, ६-दुनिया, ७- स्थिरता, ८- संसार के मुख पर, ९- विलास सामग्री के इच्छुक, १०- आँसुओं से भरी आँख, ११- अमरत्व के मर्म का मोती, १२- राष्ट्रों १३- पानी पर अंकित रेखायें, जिनकी कोई हैसियत न हो।
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