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|संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
<poem>['''(जनसत्ता (23-10-1995) के फ्रंट पृष्ठ में छपे एक चित्रा 'जबलपुर,मध्य प्रदेश से आ रही दर्शनबाई अपने पति को पीठ पर उठाकर रविवार को कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर पर सूर्य ग्रहण स्नान करने पहुँची' को देखकर])'''
पति को पीठ पर उठाया था उसने।