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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ
|संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
<poem>घोड़ा नहीं जानता
अगली टाप पड़ते ही वह
पकड़ लिया जाएगा
और
हो जाएंगे धराशायी सैंकड़ों योद्धा
घोड़ा नहीं जानता।
घोड़े के लिए सारी घास है अपनी
वह नहीं जानता राजसी भाषा वेशभूषा
पकड़ लिए जाने से पहले
सब अपना है उसके लिए।
घोड़ा नहीं जानता
उसके आगे क्या है
कौन दौड़े आ रहे हैं उसके पीछे
वह नहीं जानता सीमाओं का भूगोल
घोड़ा नहीं जानता
उसके आगे क्या है
कौन दौड़ॆ आ रहे हैं उसके पीछे
वह नहीं जानता सीमाओं के भूगोल
नहीं जानता घोड़ा उसके पीछे
आ रही है सेना
उसके पीछे है अर्जुन भीम
या कर्ण विकर्ण
घोड़ा नहीं जानता।
नहीं जानता घोड़ा
जब उसे अश्व कहते हैं
तब अश्वमेध होता है
हर अश्वमेध से पहले नरमेध होता है।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ
|संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
<poem>घोड़ा नहीं जानता
अगली टाप पड़ते ही वह
पकड़ लिया जाएगा
और
हो जाएंगे धराशायी सैंकड़ों योद्धा
घोड़ा नहीं जानता।
घोड़े के लिए सारी घास है अपनी
वह नहीं जानता राजसी भाषा वेशभूषा
पकड़ लिए जाने से पहले
सब अपना है उसके लिए।
घोड़ा नहीं जानता
उसके आगे क्या है
कौन दौड़े आ रहे हैं उसके पीछे
वह नहीं जानता सीमाओं का भूगोल
घोड़ा नहीं जानता
उसके आगे क्या है
कौन दौड़ॆ आ रहे हैं उसके पीछे
वह नहीं जानता सीमाओं के भूगोल
नहीं जानता घोड़ा उसके पीछे
आ रही है सेना
उसके पीछे है अर्जुन भीम
या कर्ण विकर्ण
घोड़ा नहीं जानता।
नहीं जानता घोड़ा
जब उसे अश्व कहते हैं
तब अश्वमेध होता है
हर अश्वमेध से पहले नरमेध होता है।
</poem>