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Kavita Kosh से
'''1.
तुझे कभी चैन न आए इतना बचैन बेचैन कर दूंगा
तेरे बदन में अपने जिस्म का रेज़ा रेज़ा भर दूंगा,
मेरी नींदों को हवाओं में घोलने वाले