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"शम्स" तपिश और बढ़ गई इन चंद बूंदों के बाद,
काले सियाह बादल ने भी बस यूँ ही बहलाया मुझ।मुझे ।
रचनाकाल: १४.०८.२००३
'''रचनाकाल: 14.08.2003
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