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जाने कब-कब किस-किस ने कैसे-कैसे तरसाया मुझे / शमशाद इलाही अंसारी
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06:46, 2 सितम्बर 2009
"शम्स" तपिश और बढ़ गई इन चंद बूंदों के बाद,
काले सियाह बादल ने भी बस यूँ ही बहलाया
मुझ।
मुझे ।
रचनाकाल: १४.०८.२००३
'''रचनाकाल: 14.08.2003
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Shamshad Elahee
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