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क्यों तेरे ग़म-ए-हिज्र में / फ़िराक़ गोरखपुरी
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02:16, 4 सितम्बर 2009
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क्यों तेरे ग़म-ए-हिज्र<ref>जुदाई के दुख में</ref> में नमनाक<ref>आर्द्र,नमी से भरी हुई</ref> हैं पलकें
क्योंकि
क्यों
याद तेरी आते ही तारे निकल आए
बरसात की इस रात में ऐ दोस्त तेरी याद
द्विजेन्द्र द्विज
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