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<poem>
क्यों तेरे ग़म-ए-हिज्र<ref>जुदाई के दुख में</ref> में नमनाक<ref>आर्द्र,नमी से भरी हुई</ref> हैं पलकें
क्योंकि क्यों याद तेरी आते ही तारे निकल आए
बरसात की इस रात में ऐ दोस्त तेरी याद