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सदृश / मनोज कुमार झा

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वे भाई की हत्‍या कर मन्‍त्री बने थे
चमचे इसे भी कुर्बानियों में गिनते हैं।
विपन्‍नों की भाषा में जो लहू का लवण होता है
उसे काछकर छींटा पूरे जवार में
फसल अच्‍छी हुई।

कवि जी ने गरीब गोतिया के घर से उखाडा था ख्‍म्‍भा-बरेरा
बहुत सगुनिया हुई सीढी
कवि जी गए बहुत उपर और बच्‍चा गया अमरीका।

गदगद कवि जी गुदगुद सोफै पर बैठे थे
जम्‍हाई लेते मंत्री जी ने बयान दिया - वक्‍त बहुत मुश्किल है
कविता सुनाओगे या दारू पिओगे।