भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
वे भाई की हत्या हत्या कर मन्त्री मंत्री बने थे
चमचे इसे भी कुर्बानियों में गिनते हैं।
उसे काछकर छींटा पूरे जवार में
फसल अच्छी अच्छी हुई।
कवि जी ने गरीब गोतिया के घर से उखाडा था ख्म्भाखम्भा-बरेरा
बहुत सगुनिया हुई सीढी
कवि जी गए बहुत उपर ऊपर और बच्चा बच्चा गया अमरीका।
कविता सुनाओगे या दारू पिओगे।
</poem>