"गाते थे खग कल कल स्वर से, सहसा एक हँस ऊपर से,<br>
गिरा बिद्ध होकर खर खग शर से, हुई पक्षी पक्ष की हानी।"<br>"हुई पक्षी पक्ष की हानी? करुणा भरी कहानी!"<br><br>
चौंक उन्होंने उसे उठाया, नया जन्म सा उसने पाया,<br>
"सुनी सभी ने जानी! व्यापक हुई कहानी।"<br><br>
राहुल तू निर्णय कर इसका, न्याय पक्ष लेता है किसका?सुन लूं तेरी बानी"<br>
"माँ मेरी क्या बानी? मैं सुन रहा कहानी।<br>
कोई निरपराध को मारे तो क्यों न अन्य उसे न उबारे?<br>
रक्षक पर भक्षक को वारे, न्याय दया का दानी।"<br>
"न्याय दया का दानी! तूने गुणी कहानी।"<br><br>