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सुलगती रेत में / अमित कल्ला

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{{KKRachna
|रचनाकार=अमित कल्ला
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<poem>
तपती
सुलगती रेत में
पसरा
शिलालेख
करता तुम्हारी प्रतीक्षा

लिखी
जिस पर
कथा
दिशाओं के
विलाप की ।

</poem>