भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[अभी मरना बहुत दुश्वार है ग़म की कशाकश से /नज़र लखनवी]]
*[[सुन लो कि मर्गे-महफ़िल कुछ मौतबर नहीं है /नज़र लखनवी]]
*[[कोई मुझ सा मुस्तहक़े-रहमो-ग़मख्वारी नहीं /नज़र लखनवी]]