भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[वो एक तुम कि सरापा बहारो-नाज़शे-गुल / नज़र लखनवी]]
*[[सोज़ाँ ग़मे-जावेद से दिल भी है जिगर भी / नज़र लखनवी]]
*[[मेरी सूरत देख कर क्यूँ तुमने ठंडी सांस साँस ली /नज़र लखनवी]]
*[[सिवादे-शामे-ग़म से रूह थर्राती है क़ालिब में /नज़र लखनवी]]