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Kavita Kosh से
मेरे पूजन-आराधन को<br>
मेरे सम्पूर्ण समर्पण मेंको,<br>
जब मेरी कमज़ोरी कहकर मेरा पूजित पाषाण हंसा!<br>
तब रोक न पाया मैं आंसू!