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Kavita Kosh से
निर्माण कर रहे सृजनव्यस्त!<br><br>
आत्माहुति के मणिमाणिक से<br>
तुम कालचक्र के रक्त सने<br>
किसने आकर यह किया त्राण?<br><br>
दृढ चरण, सुदढ़ सुदृढ़ करसंपुट से<br>
तुम कालचक्र की चाल रोक,<br>
नित महाकाल की छाती पर<br>