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|रचनाकार=शीन काफ़ निज़ाम
|संग्रह=सायों के साए में / शीन काफ़ निज़ाम
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तुम ने ठीक कहा था
उस दिन -प्यार -- चाँद -सा ही होता है और नहीं बढ़ने पाता है तो धीरे -धीरे
ख़ुद ही
घटने लग जाता है
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